बढ़ती उम्र में लाठी की जगह योग को अपनाना बेहतर विकल्प
नई दिल्ली। योग विशेषज्ञों का मानना है कि नियमित योगाभ्यास से बढ़ती उम्र की समस्याओं से राहत पाई जा सकती है। बढ़ती उम्र में लाठी या अन्य सहारे की जगह योग को अपनाना बेहतर विकल्प साबित होता है, जिससे शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से मजबूती मिलती है।
बढ़ती उम्र के साथ हमारे जोड़ों की गतिशीलता (मोबिलिटी) और लचीलापन (फ्लेक्सिबिलिटी) कम होने लगते हैं, जिससे जोड़ों में अकड़न और दर्द होना आम बात हो जाती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि खासकर टखने, कूल्हे और कमर के जोड़ कमजोर होने लगते हैं, जिससे रोजमर्रा के काम करना भी कठिन हो जाता है। इस वजह से जरूरी है कि हम ऐसे योगासन करें जो इन प्रमुख जोड़ो को मजबूत और लचीला बनाए रखें। योग के पांच खास आसन हैं जो बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों और मांसपेशियों की मजबूती बढ़ाने में मदद करते हैं। इनमें वायु निष्कासन (पवनमुक्तासन), वीरभद्रासन (वॉरियर 2), फलकासन (प्लैंक पोज), उष्ट्रासन (कैमल पोज) और छिपकली मुद्रा शामिल हैं। ये आसन न केवल जोड़ों की लचीलापन और गतिशीलता को सुधारते हैं बल्कि शरीर के वजन को संतुलित कर शारीरिक मजबूती भी प्रदान करते हैं। पवनमुक्तासन पेट की गैस, एसिडिटी और कब्ज की समस्याओं को दूर करता है और पाचन सुधारने में सहायक होता है। वीरभद्रासन शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करता है और मन को शांत रखता है। छिपकली मुद्रा कूल्हों को खोलती है और मांसपेशियों में खिंचाव लाती है, जिससे शरीर की मजबूती बढ़ती है। फलकासन पूरे शरीर को सीधा और मजबूत बनाता है, जबकि उष्ट्रासन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है और शरीर के संरेखण (अलाइनमेंट) में सुधार करता है।
योग से शरीर में न केवल शारीरिक मजबूती आती है, बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है, जिससे जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है। इसलिए बढ़ती उम्र में योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। नियमित अभ्यास से जोड़ों के दर्द, कमजोरी और अन्य बीमारियों से राहत मिलती है और जीवन अधिक सक्रिय और स्वस्थ बनता है। बता दें कि उम्र बढ़ने के साथ शरीर में कई परेशानियां सामने आने लगती हैं, जिनमें कमजोर हड्डियां, जोड़ों में दर्द, बालों का झड़ना और मांसपेशियों में कमजोरी प्रमुख हैं। ये समस्याएं धीरे-धीरे जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं और छोटी-छोटी दैनिक गतिविधियां भी चुनौतीपूर्ण हो जाती हैं।